हानिकारक रसायनों को छोङो, प्रकृति से नाता जोङो
गृह वाटिका/पुष्प प्रेमी भाइयों एवं बहनों,
हमारे दैनिक जीवन में प्रदूषण, विशेषकर वायु प्रदूषण का दुष्प्रभाव हमें तुरंत महसूस होता है। जैसे ही हम किसी प्रदूषित स्थान पर पहुंचते हैं, वहाँ से नाक धक कर या मास्क लगाकर अस्थाई बचाव करते हैं
लेकिन क्या हम आप ने कभी यह सोचा है कि जो भोजन हम प्रतिदिन ग्रहण करते हैं – जैसे फल, सब्जियाँ, अनाज आदि वह भी इसी तरह रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और खरपतवार नाशकों की madata से उगाने के कारण उतने ही जहरीले हो सकते हैं, जितनी प्रदूषित हवा, किंतु हमें यह अहसास नही होता है।
हमारे यहां jadaa असंतुलित रासायनिक कृषि पद्धति से खाद्य पदार्थ उगाये जाते हैं, जो हमारे शरीर में कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदयाघात जैसी गंभीर बीमारियों की उत्पत्ति का प्रमुख कारण होते हैं।
समाधान क्या है?
यदि आप स्वास्थ्य के प्रति जागरुक हैं और शुद्ध हवा की तरह शुद्ध भोजन की तलाश में है, साथ ही अपनी अगली पीढी को स्वादिष्ट स्वास्थ्य प्रद भोजन देने की इच्छा रखते हैं तो जैविक/प्राकृतिक गृह वाटिका (Organic Kitchen Garden) अपनी छत, बालकनी या खाली जगह पर विकसित कर जैविक खेती करके शुद्ध, पोषक और सुरक्षित खाद्य पदार्थ खुद उगाएँ, इस प्रयास में सजीवक नि:शुल्क सलाह और मार्गदर्शन प्रदान प्रदान करता है। सिर्फ अपने परिवार के लिए ही नहीं बल्कि यह पहल पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान करती है, जिससे हम सब को शुद्ध प्राण वायु मिले गी
🌱 जैविक खेती (Organic Farming) क्या है?
जैविक खेती एक ऐसी कृषि पद्धति है जो कृत्रिम (Synthetic) उर्वरकों, कीटनाशकों और आनुवंशिक रूप से संशोधित बीजों (GMOs) के प्रयोग को न्यूनतम या पूरी तरह प्रयोग न करके,इसके बजाय यह पद्धति मिट्टी के स्वास्थ्य, प्राकृतिक संतुलन, और टिकाऊ कृषि प्रणाली पर आधारित होती है जिसमें जैविक खाद जैसे – कम्पोस्ट, हरी खाद, केचुआ खाद (Vermicompost) और प्राकृतिक कीट नियंत्रण व विधियों का उपयोग करके उत्पादन किया जाता है।
🪱 वर्मी कम्पोस्ट / केचुआ खाद क्या है?
वर्मी कम्पोस्ट एक उच्च गुणवत्ता वाली जैविक खाद है, जो गोबर, सूखी पत्तियाँ, फसल अवशेषों और रसोई के कचरे आदि जैसे जैविक पदार्थों को केचुओं द्वारा विघटित (खाकर) कर तैयार किया जाता हैं।
👉 वर्मी कम्पोस्ट के लाभ:
यह पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर पूरी तरह से प्राकृतिक और पर्यावरण-अनुकूल होती है
मिट्टी की उर्वरता, जलधारण क्षमता को बढ़ाती है
जैविक गृह वाटिका (गमला) , छत पर बागवानी से लाभ-
1. स्वास्थ के लिए बेहतर – इससे उत्पादित खाद्य पदार्थ अधिक पौष्टिक, रुचिकर और गुणवत्तायुक्त होते है वइनके सेवन से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है, ज्यादा समय तक संरक्षित रख सकते है।
2. क्षत पर खेत बनाकर करने से गर्मी से बचाव होता है।
देखिए और सीखिए – “जैविक खेती की एक सफल कहानी”
मेरे प्रिय सेवानिवृत्त भाइयों एवं ग्रहणी बहनों अपनी दैनिक दिनचर्या में कुछ समय देकर अमृत तुल्य भोजन अपने परिवार को दे सकती हैं। मैं स्वयं वर्ष 2008 से अपनी छत पर खेती (Terrace Farming) के माध्यम से जैविक खेती कर रहा हूँ।
यदि आप इस जैविक यात्रा को देखना व इससे प्रेरणा लेकर शुरुआत करना चाहते हैं, तो आप मेरे Facebook पेज “Sajeevak Nurturinglifenaturally” पर विज़िट कर सचित् फोटो विडियो देख सकते हैं।
या फिर आप नीचे दिये गये मेरे पंजीकृत जैविक मार्केटिंग कार्यालय पर आकर मेरी छत पर जैविक वाटिका का भ्रमण कर सकते हैं।

मित्रों बाजार में मिलने वाली शुद्ध जैविक खाद या तो महंगी होती थी, या फिर जैविक के नाम पर मिट्टी और गोबर या कचरा होता था। इसी चुनौती को समाधान में बदलते हुए, मैं स्वयं जैविक खाद अपने उपयोग के लिए बनाने लगा। धीरे-धीरे मेरे दोस्तों, परिचितों और गृह वाटिका प्रेमियों को बहुत लाभकारी फलदाई लगी और माँग बढने लगी।
बस यहीं से हुई शुरुआत हुई “सजीवक जैविक खाद” की – “सजीवक जैविक खाद” सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि एक उद्देश्य है — प्राकृतिक /परंपरागत खेती को सरल, सुलभ और सस्ती बनाना। अब आप भी इसका लाभ उठा सकते हैं यह कार्य बहुत ही आसान है। यदि आप के पास गृह वाटिका है, और बाजार में उपलब्ध महंगी व नकली जैविक खाद लाभकारी नहीं है और पौधों से अच्छे फल-फूल चाहते हैं, तो आप सजीवक से संपर्क कर सकते हैं।
जैविक खाद के लाभ
1. पौधों के सम्पूर्ण विकास (जङ, तना, फल, फूल, पत्ती) के विकास के सहायक
2. पौधों / फसलों की उत्पादन तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि
3. मिट्टी की संरचना, भुरभुरापन, उर्वरता, जलधारण क्षमता में वृद्धि तथा भूमिक्षरण में कमी।
4. कीटनाशक व रसायन रहित पौष्टिक व स्वादिष्ट उत्पाद पैदा करने में पूर्णता सक्षम।
सजीवक जैविक खाद (Vermicompost) की प्रयोग विधि-
1. गमलों को भरते समय मिट्टी के साथ 30% सजीवक जैविक खाद’ (10% नीम खली, 10% कोकोपीट, 5% हड्डी का चूरा, 5% बायोचार यदि हो सके) शेष मिट्टी मिलाकर गमलों को भरें फिर उसमें पौधा लगाएं।
2. निकाई-गुङाई करते समय प्रति 4-6 माह में 100-150 ग्राम प्रति वर्ग फीट गमलों, क्यारी, घास के मैदान में सजीवक वर्मी कम्पोस्ट का प्रयोग करें, फलदार वृक्षों में 2-3 कि0ग्रा0 प्रति वृक्ष व फसलों में 2-3 टन प्रति एकङ